एक नई सुबह
सुबह को फिर निमंत्रण मिला है
अब प्रभाकर का मुखड़ा खिला है
मन में उत्साह भरने का पल है
जो अंँधेरा था वो बीता कल है
जो है खोया उसे भूल जाओ
पाया जो उसका उत्सव मनाओ
बीती बातों को मत याद करना
दुख ही दुख मात्र पाओगे वर्ना
चढ़ती हैं चीटियां जब चढ़ाई
गिरती है वो कई बार भाई
छोड़ती है मगर वो न चढ़ना
करती पूरी वो अपनी चढ़ाई
जब पराजय से इतना डरोगे
प्राप्त कैसे सफलता करोगे
जीवन में सफल तब बनोगे
खूब संघर्ष तुम जब करोगे
तो उठो किसकी है फिर प्रतीक्षा
तुम ये "कौशल" ग्रहन कर लो शिक्षा
असफलता से ना घबराओ
प्रगति के पथ पे तुम बढ़ते जाओ
© Kaushal
अब प्रभाकर का मुखड़ा खिला है
मन में उत्साह भरने का पल है
जो अंँधेरा था वो बीता कल है
जो है खोया उसे भूल जाओ
पाया जो उसका उत्सव मनाओ
बीती बातों को मत याद करना
दुख ही दुख मात्र पाओगे वर्ना
चढ़ती हैं चीटियां जब चढ़ाई
गिरती है वो कई बार भाई
छोड़ती है मगर वो न चढ़ना
करती पूरी वो अपनी चढ़ाई
जब पराजय से इतना डरोगे
प्राप्त कैसे सफलता करोगे
जीवन में सफल तब बनोगे
खूब संघर्ष तुम जब करोगे
तो उठो किसकी है फिर प्रतीक्षा
तुम ये "कौशल" ग्रहन कर लो शिक्षा
असफलता से ना घबराओ
प्रगति के पथ पे तुम बढ़ते जाओ
© Kaushal