महताब-एक निर्जीव कथा
#world moon day
ए चांद,
कभी कभी ही क्यों लगता है तू मुझे,
चांद,
जब मैं कराह रही होती हूं,
दर्द से,
और बिछड़ जाती हूं,
अपने दीदार...
ए चांद,
कभी कभी ही क्यों लगता है तू मुझे,
चांद,
जब मैं कराह रही होती हूं,
दर्द से,
और बिछड़ जाती हूं,
अपने दीदार...