उलझनों में उलझा मन 🙃❣️
उलझनों में उलझा मन
अनगिनत परतो में टूटा हुआ 🙃
कोई सयाना सा मुसाफिर
लगता नादान राह से रूठा हुआ 🙃
एक कश्ती किनारे पर
जिसका समुंदर है सूखा हुआ 🙃❣️
अंतर्मन का सुख चैन
किसी दरिया में है डूबा हुआ 🙂
लुटेरे तो हम थे कभी
महफिल लूटा करते थे 🙃
वक्त का तकाज़ा है
ये दिल किसी ने हैं मेरा
अब लूटा हुआ 🙂❣️
© सौ₹भmathu₹
अनगिनत परतो में टूटा हुआ 🙃
कोई सयाना सा मुसाफिर
लगता नादान राह से रूठा हुआ 🙃
एक कश्ती किनारे पर
जिसका समुंदर है सूखा हुआ 🙃❣️
अंतर्मन का सुख चैन
किसी दरिया में है डूबा हुआ 🙂
लुटेरे तो हम थे कभी
महफिल लूटा करते थे 🙃
वक्त का तकाज़ा है
ये दिल किसी ने हैं मेरा
अब लूटा हुआ 🙂❣️
© सौ₹भmathu₹