लिखो न तुम.....
लिखो न अपने जज़्बात
जिन्हे तुम छुपा रहे हो,
लिखो न खट्टे मीठे
हालात जिन्हे तुम
छुपा रहे हो!
कबसे दिल की बात
दिल मे रख कर
तुम खुद ब खुद
घबरा रहे हो.!
लिखो न आते जाते
दिन रात,
जिन्हे तुम खुद मे
समेटे चलते जा रहे हो!
लिखो न अपनी हंसी
का राज जो गमों
को छुपा रही है और
तुम इसी बात पर
इतरा रहे हो!
लिखो...
जिन्हे तुम छुपा रहे हो,
लिखो न खट्टे मीठे
हालात जिन्हे तुम
छुपा रहे हो!
कबसे दिल की बात
दिल मे रख कर
तुम खुद ब खुद
घबरा रहे हो.!
लिखो न आते जाते
दिन रात,
जिन्हे तुम खुद मे
समेटे चलते जा रहे हो!
लिखो न अपनी हंसी
का राज जो गमों
को छुपा रही है और
तुम इसी बात पर
इतरा रहे हो!
लिखो...