...

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रहने दिया
रहने दिया
हर शाम आकर
अक्सर पूछती है ---बीती शाम का हाल
मैं असमंजस में चुपचाप सुनता हूं
आज की शाम की पदचाप ।
कल शाम की तन्हाइयों से पूछूंगा
तुम्हारा वजूद क्या है ?
मेरी याद के आगे ।
तुम्हारी औकात सिर्फ ढलने में है
हमारी औकात को यादों की हद में
रहने दिया करो कभी कभी ।