बात दिल की
#WritcoPoemPrompt54
किस से कहोगे बात दिल की,
हर कोई यहाँ समझदार नहीं है!
बातें तो सब करते हैं निभाने की,
पर हर कोई यह वफ़ादार नहीं है!
बाहर से तो सब अच्छे हैं,
पर अंदर से वैसे ही किरदार नहीं है!
गरीब की मजबूरी समझ ले,
अब वो सरकार नहीं है!
हर किसी पर कर सको विश्वास,
अब वो संसार नहीं है!
बेटी की शादी करने के बाद,
बाप ही बेटी का हकदार नहीं है!
बातें तो सब करते हैं जमाने की,
पर हर कोई यह खुद्दार नहीं है!
रिश्ते भी दिमाग से निभाते हैं,
लोग ये नहीं समझते रिश्ते व्यापार नहीं है!
बेटे चाहे जो कर सकते हैं,
पर बेटियो को सारे अधिकार नहीं है!
मिले सब प्रेम से,
यहाँ अब ऐसा परिवार नहीं है!
किस से कहोगे बात दिल की,
हर कोई यहाँ समझदार नहीं है!
© All Rights Reserved
किस से कहोगे बात दिल की,
हर कोई यहाँ समझदार नहीं है!
बातें तो सब करते हैं निभाने की,
पर हर कोई यह वफ़ादार नहीं है!
बाहर से तो सब अच्छे हैं,
पर अंदर से वैसे ही किरदार नहीं है!
गरीब की मजबूरी समझ ले,
अब वो सरकार नहीं है!
हर किसी पर कर सको विश्वास,
अब वो संसार नहीं है!
बेटी की शादी करने के बाद,
बाप ही बेटी का हकदार नहीं है!
बातें तो सब करते हैं जमाने की,
पर हर कोई यह खुद्दार नहीं है!
रिश्ते भी दिमाग से निभाते हैं,
लोग ये नहीं समझते रिश्ते व्यापार नहीं है!
बेटे चाहे जो कर सकते हैं,
पर बेटियो को सारे अधिकार नहीं है!
मिले सब प्रेम से,
यहाँ अब ऐसा परिवार नहीं है!
किस से कहोगे बात दिल की,
हर कोई यहाँ समझदार नहीं है!
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