...

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कैसी है दुनिया!
कैसी है ये दुनिया और कैसे है यहाँ के लोग,
अपने ही तो अपनों के संग करते है प्रयोग।

निचे बैठे हुए लोग अब पांव बहुत खींचते है,
कुछ लोगों का तो उन का है अध्यात्मयोग।

परलोक और मृत्युलोक में कुछ नहीं है भेद,
आदमी के मनका तो सिर्फ छोटा सा है रोग।

ईश्वर है यहाँ पर दिखते नहीं है वे यहाँ पर,
मन को शुद्ध कर के प्राप्त होता है संयोग।

क्या ले जा रहे हो वहाँ क्यों ले जा रहे हो,
चंद बातों का पिटारा ही ले जा रहें है लोग।

"रूह" तेरे शब्दों से कुछ लोग सुधरेंगे किंतु,
आदमी के कर्म से ही तो होगा ये सहयोग।

~शिवम राज व्यास "रूह"


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