गाँव मेरा खो चुका।
कल फ़िर गाँव को जो मैं गया
कोशिश में फ़िर मैं जुट गया,
ढूँढा बहुत मैंने मग़र
ना गाँव मुझको मिल सका।
कल फ़िर गाँव को जो मैं गया...
दुकान एक परचून की
अब मॉल शायद हो चुकी,
चिड़ियों की चहकारें सभी
अब मौन शायद हो चुकी,
बचपन था जिसमें खेलता
वो बाग गायब हो चुका।
कल फ़िर गाँव को जो मैं गया...
हाँ पेड़ भी शायद मुझे...
कोशिश में फ़िर मैं जुट गया,
ढूँढा बहुत मैंने मग़र
ना गाँव मुझको मिल सका।
कल फ़िर गाँव को जो मैं गया...
दुकान एक परचून की
अब मॉल शायद हो चुकी,
चिड़ियों की चहकारें सभी
अब मौन शायद हो चुकी,
बचपन था जिसमें खेलता
वो बाग गायब हो चुका।
कल फ़िर गाँव को जो मैं गया...
हाँ पेड़ भी शायद मुझे...