...

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दोस्ती के लम्हें
वो लम्हे कितना कुछ दे जाते हैं,
जब चंद लम्हों में कुछ अजनबी अपने बन जाते हैं,
शुरू होती हैं मुलाकातें नाम जान लेने से,
और वही नाम जिंदगी भर याद आते हैं,
सच में वो लम्हें कितना कुछ दे जाते हैं।

जहाँ पहले एक हल्की सी मुलाकात होती है,
चंद लफ़्ज़ों में ही बात होती है,
और फिर वक़्त ऐसा आता है,
रात ढलने से , सुबह खिलने पर,
उनसे ही दिन की शुरुआत होती है;
ग़र कुछ ना भी हो कहने भर को,
तो मजाक एक दूजे का बना लिया करते हैं,

हाँ !
ये दोस्ती है जनाब,
दूर हों बेशक एक दूसरे से,
फिर भी वक़्त साथ में बिता लिया करते हैं।

ये लम्हें सच में बेहद खास होते हैं,
बयाँ कर दे जो खूबसूरती इनकी,
ऐसे किसी के पास कहाँ, अल्फ़ाज होते हैं।
हाँ!
ये लम्हें "दोस्ती" के हर दिल के पास होते हैं।