...

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राष्ट्रवाद और सरहद


सरहद के दोनों पार तब युद्ध हुआ करता हैं,
जब राष्ट्रवाद चरम पर जा पहुचता हैं।
सरहद मानवता को सीमित कर देती हैं,
किंतु राष्ट्रवाद को अतिउजागर कर देती हैं।

युद्ध का कारण हैं सरहद
राष्ट्रवाद का प्राण हैं सरहद
खून का प्यासा हैं सरहद
बंदूकि जुबां समझता सरहद
नफ़रत का पर्याय हैं सरहद
क्रूरता कि पहचान हैं सरहद
मानवता का अपमान हैं सरहद
राष्ट्रवाद का सम्मान हैं सरहद

भारतीय श्री राम हुए,
गौतम बुद्ध हुए नेपाली
Prophet भी अरबी हुए,
क्या Christ नहीं इस्रायली

राष्ट्रवाद हैं एक तलवार
जिसपर हैं सरहद की धार
अतिभयंकर इसकि मार
बाट दिया ईस्वर भी आज !!!

....aditya's poerty.......
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