गज़ल
मेरे भीतर जलता हुआ क्या है
धीरे धीरे सुलगता हुआ क्या है
सांस बन्द और नब्ज थमी हुई
फिर ये सीने में धड़कता हुआ क्या है
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धीरे धीरे सुलगता हुआ क्या है
सांस बन्द और नब्ज थमी हुई
फिर ये सीने में धड़कता हुआ क्या है
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