...

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"गरीब हूँ तो जानता हूँ कि गरीबी क्या होती है!"
जो चीज़ आसान लगे वही मेरे लिए कठिनतम होती है,
मेरे घर में औरतें जरूरतों के लिए अपने जेवर खोती हैं,
गरीब हूँ तो जानता हूँ कि गरीबी क्या होती है!
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आदत हो चुकी है अब खाली पेट सोने कि,
मिहनत से कमाई हुई एक रोटी भी परिवार को सौंप देने की!
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महल में रहके क्या जानो ऐहमियत झोपड़े की,
बारिश में टपकती छत सिखा गयी झोपड़े का मोल भी!
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मेरा परिवार हर चीज को तिल-तिल तरसता है,
फिर...