...

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विरह अश्रु
जिस तरह यह आत्मिक आगमन हुआ,
सत्य कहती हूं भावपूर्ण है !
स्थिर- सशक्त परंतु भयावह ।

निडरता एवं विरह रूपी अश्रुओं का संभोग,
अटल एवं अजर
प्राणदायी एवं नवजीवित सा!

क्रोध का लहू, अभिमान की श्वास से मिलकर
मलिन हो गया !
आंशिक मात्र भी न...