...

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ताकत
लोग एक मजमें की तरह साथ चलते हैं
एक हुजूम जैसे बाहें फैला
हमारी ही ओर तंकता है
और हम इस भीड़ के आगोश में 
सबसे अग्रिम पंक्ति चुनते हैं
एकाएक कठिन डगर पर हम  
खुद को अकेला पाते हैं
ये भीड़ जो मजमें में चल रही थी
वो यकायक गायब हो जाती है
हमारी हथेलियों से छूट जाते हैं वो हाथ
जिन्होंने मुट्ठियों को भींच
हमें समझाईं थीं हमारी ताकतें