मोहब्बत
कभी फूलों की पंखुड़ी सी शादान मोहब्बत
कभी मस्तियों में डूबी मस्तान मोहब्बत।।।
खुशी इक पल, इक उम्र अजियत की दे...
ऐसी है शोलों में लिपटी देहकान मोहब्बत।।
अक्ल ओ फहम की दिल से जंग करवाए..
ज़ालिम जैसे जंग का मैदान मोहब्बत।।।।
शोखियों को जो यकदम खामोश करा दे..
जैसे हो सारे जज़्बों की...
कभी मस्तियों में डूबी मस्तान मोहब्बत।।।
खुशी इक पल, इक उम्र अजियत की दे...
ऐसी है शोलों में लिपटी देहकान मोहब्बत।।
अक्ल ओ फहम की दिल से जंग करवाए..
ज़ालिम जैसे जंग का मैदान मोहब्बत।।।।
शोखियों को जो यकदम खामोश करा दे..
जैसे हो सारे जज़्बों की...