...

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सबब
मेरे लम्बे इस सफ़र का सबब क्या है,
जो कुछ और था पहले तो अब क्या है.

ज़माना ठहरा रहेगा, ये फ़ितरत है उसकी,
गर हंसे वो चलने वालों पे तो ग़ज़ब क्या है.

जहां सुलझाने हो मसले अदब-ओ-अमन से,
वहां ज़ुबां चले हथियारों-सी तो अदब क्या है.

अहल-ए-गरज़ बिफ़र गए सच सुनके अपना,
ऐसों के रू-ब-रू सच बोलने की तलब क्या है.

रिश्ते छोड़ जाने वाले ही जब 'ज़र्फ़' बन जाएं,
ऐसे रिश्तों को छोड़ने की मर्ज़ी में अजब क्या है.
© अंकित प्रियदर्शी 'ज़र्फ़'

सबब - वजह, कारण (cause, reason)
फितरत - स्वभाव (nature, normal line of behaviour)
अदब ओ अमन - सम्मान और शांति (respected and peaceful)
अहल ए गरज़ - स्वार्थी, मतलबी लोग (selfish)
तलब - ज़रूरत (need)
अर्ज़ किया है.......