...

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जिंदगी
बात इतनी हो गयी की
बात कुछ ना हो सकी
जिंदगी की दौड़ मे ये
जिंदगी ही खो गयी

चाहतों के दरमियाँ, चाहत भी यूँ काबिज़ हुई
जीने के खातिर जिंदगी घर हाथों ही अपने तज दिया
उमीदें लगाई इस कदर की उमीद, उमीद ना रही
रिश्तों के खातिर रिश्तों को अपने दार पे ही रख दिया

ज़ख़्मो का...