...

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गुलाब के तरह खिल जाना!
में एक ऐसी दीया हूं,
जिसका असंभव है बुझ जाना!
में एक ऐसी कली हूं,
जिसका नामुमकिन है मुरझाना!
लोग मुझे अहमियत दे न दे,
परवाह नहीं दुनिया की मुझे,
अपने जीवन के राहों में ,मुझे है बस चलते जाना!
हर मुसीबत से लड जाऊंगी,
अपनी मंजिल पा कर दुनिया को दिखाउंगी,
अब मुश्किलों को देख कर,
मुझे नहीं घबराना,
क्यू की सिख लिया है मैने,
अब कांटों के बीच,
गुलाब के तरह खिल जाना!..