सोचता हूं
सोच़ता हू,
कुछ़ लिखू !
ते़रे लिए़ !
फि़र रुक़ जाता हू,
ये सोचक़र,
कि तुम़ अकेले मे,
मुझे़ कै़से याद़ कऱती...
कुछ़ लिखू !
ते़रे लिए़ !
फि़र रुक़ जाता हू,
ये सोचक़र,
कि तुम़ अकेले मे,
मुझे़ कै़से याद़ कऱती...