अपने आप को पाना चाहती हूं....
इन दिनों खुदको उलझी हुई सी महसूस कर रही हूँ.....
कुछ समझ नहीं आ रहा
कैसे अजीब दौर से गुजर रही हूँ...
ना किसी से बात करना अच्छा लगता है,
और ना ही किसी की बात सुनने को मन करता है.....
लगता है जैसे मै खुदको इस दुनिया के बीच खो रही हूँ....
जिन रिश्तो को मैंने खुद बुना,
वो सब उलझ कर रह गए हैं.....
सब कुछ सुलझ जाने की उम्मीद में,
जिंदगी हर रोज उलझ रही है....
थक चुकी हूं जिंदगी के सफर से,
सबसे दूर जाना चाहती हूं....
लौट कर ना आ सकू जहां से,
मै उस दुनिया में जाना चाहती हूं....
अब बस मै अपने आप को पाना चाहती हूं...
🙂🙂
कुछ समझ नहीं आ रहा
कैसे अजीब दौर से गुजर रही हूँ...
ना किसी से बात करना अच्छा लगता है,
और ना ही किसी की बात सुनने को मन करता है.....
लगता है जैसे मै खुदको इस दुनिया के बीच खो रही हूँ....
जिन रिश्तो को मैंने खुद बुना,
वो सब उलझ कर रह गए हैं.....
सब कुछ सुलझ जाने की उम्मीद में,
जिंदगी हर रोज उलझ रही है....
थक चुकी हूं जिंदगी के सफर से,
सबसे दूर जाना चाहती हूं....
लौट कर ना आ सकू जहां से,
मै उस दुनिया में जाना चाहती हूं....
अब बस मै अपने आप को पाना चाहती हूं...
🙂🙂