...

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खुद को समझा रही थीं
मेरी खुशी क्या है मुझे लगा मुझसे बेहतर
वो जानते है
जो मुझे अपने दिल का सुकून मानते है

मै नादान नाराजगी जता रही थीं
उसे पानेकि चाह मे उससे ही दूरजा रही थीं

बोला किछोड़ दो अकेला वो छोड़ दिया
मै बावली बेवजह आँसू बहा रही थीं

बड़ी आसानी से बोला तेरे खुशी के लिए
पर दिल को यकीन नहीं तो बार बार आ रही थीं

सुना था सबके लिए बड़ा नरम दिल है उनका
मै भी नासमझी मे कुछ उम्मीद लगा रही थीं

दर्द दिल का लफ्जो मे बयां करना मुश्किल था
वो बीन बोले समझ जाये मै खुदको समझा रही थीं

हर जज्बात को अल्फाज़ नहीं मिल पाते है
दर्द न समझे कोई तो दिल मे ही दफन हो जाते है

लगा नहीं कभी छोड़ेगे साथ रहेंगे हर हाल मे
संभालेंगे पागल बन खुद को आजमा रही थीं

भुल दुनिया कि रीत अपना हक जता रही थीं
नाता सासो का है खुदको समझा रही थीं