रण का साक्षी
सुनो कहानी, महाभारत की जुबानी,
जहां सिर बना साक्षी, गाथा है पुरानी।
कमरूनाग की भूमि, जहां रहस्य गहराता,
बरबरिक का बलिदान, जो हर दिल को है भाता।
रण का बिगुल बजे, धरती कांपे चारों ओर,
सूरज भी छुप गया, जब उठे कृष्ण के शस्त्र घोर।
बरबरिक का प्रण, हरे का सहार,
निष्पक्ष योद्धा, न्याय का किनारा।
कृष्ण ने चाल चली, सवालों में घेरा,
कहा, "तेरे युद्ध का क्या अंजाम होगा मेरा?"
सिर मांगा रणभूमि का सच देखने को,
त्रिकालदर्शी नजरों से इतिहास लिखने को।
कमरूनाग का तप, खाटू श्याम की गाथा,
बरबरिक का सिर, जो भक्ति के गीत गाता।
रण के हर वार में, दिखी कृष्ण की चाल,
सिर बोले "संहार किया सिर्फ गोपाल।"
भीम का मुक्का, धरती में बनी झीली,
सिर ने पानी पिया, भक्ति में हुआ लीन।
झील में पड़े...