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वो बचपन का दौर 💗
#स्मृति_कविता

एक दृश्य था वो सुहाना सा
जब वक्त पर मैं घर आया करता था
सुबह शुरू होती थी नई उम्मीदों के साथ
और शाम भी अपने साथ एक सपना लाया करता था
वो दौर था मेरे बचपन का
जब मैं अपने दोस्तों के साथ स्कूल जाया करता था

दिन भर बेवजह ही होंठो पर मुस्कान बनी रहती थी
शाम होते ही आ जाया करते थे कई दोस्त घर पर
और फिर एक पार्क में मस्ती की वो शान सजा करती थी
ना सिगरेट जली कभी ना ही दारू के जाम चले
पर फिर भी ना जाने किस खुशी में पूरी टोली झूम लिया करती थी

वो दौर था की मां...