Title -"उन कुछ पहर के संजीदापन।"
साथ चलकर हंसते मज़ाकिया, तफ़रीह करते चले चार यार, बातें करते हैं फिज़ा में।
के कमबख्त वक़्त-ए-आह में भी, मोहब्बत और याराना के
नग़मा -निगार गाते, ये जैसे कोई सज़ा में।।
ज़रा सी खिझाना, ज़रा सी
तल्ख- बयानी भी, उनको पसंद...
के कमबख्त वक़्त-ए-आह में भी, मोहब्बत और याराना के
नग़मा -निगार गाते, ये जैसे कोई सज़ा में।।
ज़रा सी खिझाना, ज़रा सी
तल्ख- बयानी भी, उनको पसंद...