जिंदगी का सच
मैंने जुबान से बोला,
और उनकी तरक्की हो गई,
लोग बेमतलब ही मुझे,
दुसरो की नाकामी का इल्जाम दिया करते हैं,
हम तो लोहे को सोना बना दे,
इतनी कुबत खुद में रखते हैं,
लोग पतझर में सुखे पत्ते को बेइमान कहते हैं, और बाग में ताजे पत्ते को गुलजार कहते हैं,
वाह रे जिंदगी...
लोग वक्त के अनुसार अपने मतलब से इंसान को इंसान कहते हैं...
© Smriti's Tiny World
और उनकी तरक्की हो गई,
लोग बेमतलब ही मुझे,
दुसरो की नाकामी का इल्जाम दिया करते हैं,
हम तो लोहे को सोना बना दे,
इतनी कुबत खुद में रखते हैं,
लोग पतझर में सुखे पत्ते को बेइमान कहते हैं, और बाग में ताजे पत्ते को गुलजार कहते हैं,
वाह रे जिंदगी...
लोग वक्त के अनुसार अपने मतलब से इंसान को इंसान कहते हैं...
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