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अन्तरमन
#ख्वाबोंकीदुनिया
एक दिन अन्तरमन में जगी एक अभिलाषा,
तन्हाई में गुज़रे ज़िंदगी दिल भी प्रेम का प्यासा,
सोचा क्यों न करें भगवत कथा नर नारी सब आयेंगे,
सुनकर मेरी कथा प्रेम से भाव विभोर हो जायेंगे,
धीरे धीरे नाम भी होगा ईश्वर की शरण मिल जायेगी,
तन्हाई भी हो समाप्त तन में भी स्फूर्ति आ जायेगी,
मन ही मन लड्डू फूट गये दिल में एक नव ज्योति जगी,
जुट गए इंतजाम में आलस,तनहाई छोड़ भगी,
एक सप्ताह में ही गाँव में लगा दिया था पंडाल,
भगवत कथा प्रारंभ हुई पूरा गाँव ही था खुशहाल,
कथा के बीच में हंसाने को छोड़ दिये जाते छोटे दृष्टान्त,
हमने भी एक शादी करवाने वाले मध्यस्थ का छोड़ दिया वृत्तांत,
मध्यस्थ की खातिर लड़के लड़की दोनों ओर से होती,
पुराने जमाने में बारात तीन दिन तक थी रूकती,
एक दिन...