मुझें अंजान रहने दो
मेरी कलम से जो मेरी पहचान है
वो पहचान रहने दो
मैं अनजान हूँ मुझें तुम अनजान रहने दो
चली हूँ जिस राह पर तन्हाई की तलाश में
उस राह को तुम सुनसान रहने दो
दो गज जमीन के निचे ढूढ़ा है घोंसला
सब ले...
वो पहचान रहने दो
मैं अनजान हूँ मुझें तुम अनजान रहने दो
चली हूँ जिस राह पर तन्हाई की तलाश में
उस राह को तुम सुनसान रहने दो
दो गज जमीन के निचे ढूढ़ा है घोंसला
सब ले...