...

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मोहब्बत पैरहन नहीं
फूल खुशबू तितली काँटे, सब मिलेंगे यहाँ मगर
मोहब्बत के जैसा यहाँ, कोई गुलशन न मिलेगा

माना कि पुरानी जरूर है मगर उतरन तो नहीं है
सुन लो जनाब, ये मेरी मोहब्बत पैरहन नहीं है

आ जाओ कि सुलझा देते हैं, कश्मकश तुम्हारी
सिवाय इसके मेरी तो कोई, उलझन भी नहीं है

तुम्हारे नाम से ही, दिल की धड़कनों को आराम है
आज भी तुम्हारे लिए ख़त लिखे, हमने बेनाम हैं
© ऊषा 'रिमझिम'