...

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अजनबी
वो कौन आया था, मेरे मन के द्वारे,
आ कर चला गया, जैसे टूटते सितारे I
दोस्त नहीं, हमसफ़र नहीं, बस अजनबी था,
कुछ नाता है नहीं, मग़र बहुत भाता था।
वो चला गया, मग़र जा कर भी गया नहीं,
मेरे हर ख्यालों में, शामिल रहा सिर्फ वहीं I
कुछ इस तरह से, वो जुड़ गया है हर कहीं,
मुझे नापसंद है, वो ख्वाब जिनमें वो नहीं I
उसे कुछ पल के लिए, दिल को बहलाना ही था,
ग़र रहना नहीं था तो दिल को लुभाना ही क्यों था I