अनगिनत जालों में फसा इंसान
मछली के लिए जो जाल फेंके जाते हैं,
जिनमें वो हर बार फँस जाती है,
मैं भी ठीक उसी मछली की तरह हूँ,
जो रोज़ किसी न किसी के जाल में उलझता है।
कभी इश्क के, कभी भरोसे के,
कभी अपनों के, कभी परायों के।
फँसना मेरी किस्मत नहीं,
ये मेरी मजबूरी है।
हर बार खुद को संभालने की कोशिश करता हूँ,
हर बार सोचता हूँ कि अब सतर्क रहूँगा,
लेकिन फिर भी, जाल फेंका जाता है, और मैं उसमें फँस जाता हूँ।
जैसे उस दिन, जब एक दोस्त ने भरोसा दिया था,
उसकी बातों में मिठास थी, जैसे मीठे पानी में मछलियाँ।
मेरे दिल की बात कहने पर,...
जिनमें वो हर बार फँस जाती है,
मैं भी ठीक उसी मछली की तरह हूँ,
जो रोज़ किसी न किसी के जाल में उलझता है।
कभी इश्क के, कभी भरोसे के,
कभी अपनों के, कभी परायों के।
फँसना मेरी किस्मत नहीं,
ये मेरी मजबूरी है।
हर बार खुद को संभालने की कोशिश करता हूँ,
हर बार सोचता हूँ कि अब सतर्क रहूँगा,
लेकिन फिर भी, जाल फेंका जाता है, और मैं उसमें फँस जाता हूँ।
जैसे उस दिन, जब एक दोस्त ने भरोसा दिया था,
उसकी बातों में मिठास थी, जैसे मीठे पानी में मछलियाँ।
मेरे दिल की बात कहने पर,...