...

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जय शिव
जगत गुरु हो कर भी,
जो जिए जीवन सरल |
नीलकंठ भोले शंकर,
कंठ में लिए अनंत गरल |
सहन ना कर सकी वसुधा जिसे,
जटावहन कर सिर मौर्य सजाया |
अति प्रबल वेग थाम गंगा का,
धरा को अमृतपान कराया ||


© shweta Singh