सफर
साथ चलने का सफर था,
फिर ये आयी दूरियाँ क्यूँ,
क्या थे मसले जिंदगी के,
जो फिसलते फिर संभलते,
कर गुजरने की है चाहत,
फिर ये आयी दूरियाँ क्यूँ |
कौन से वो कर्म थे जो,
खींच...
फिर ये आयी दूरियाँ क्यूँ,
क्या थे मसले जिंदगी के,
जो फिसलते फिर संभलते,
कर गुजरने की है चाहत,
फिर ये आयी दूरियाँ क्यूँ |
कौन से वो कर्म थे जो,
खींच...