...

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इक-दूजे के लिए
आज हम
वो सवाल
अधूरे छोड़ देते हैं....
जिनके जवाब में
सिर्फ सब्र होता है.....!!

अब हम
उन ख्वाब को थामते नहीं है...
जो धीमे धीमे सुलगता है
अब हम किनारों पे रुकते नहीं है.....!!

जिनका मौसमी
एहसास अतरंगी होता है...
अब हम खोजते हैं
वही पुराने दिन
जहाँ बेहिसाब वक़्त होता था....!!

हमेशा,. हमेशा और हमेशा ही
सिर्फ इक-दूजे के लिए.......!!


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© कुन्दन प्रीत