...

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आगे बढ़ते जाएंगे
कुछ तुम कहो, कुछ हम कहें
ये ज़िंदगी का सफर यूँ ही चलता रहे
अनजान राहों पर तारों की चादर तले
धीरे धीरे ख्वाब सारे हकीकत बनें

गिरते- संभलते, डरते घबराते
चलते जाएँ हम यूँ ही यादें बनाते
अनकहे अल्फाजों से खामोशी की हम हद तोड़ दें
जो रोके राहों को हमारी हर वो सरहद तोड़ दें

अपनी मंज़िल से जोड़ ले हम प्रीत नई
जीतकर ही रहेंगे कभी ना कभी
थामकर हाथ एक दूजे का चलते जाएँ उस ओर
जहां हम नहीं; हमारी सफलता करे शोर

एक दूजे की कमज़ोरी नहीं, हिम्मत बनकर
हर मुश्किल के आगे पर्वत-सा तनकर
खुद ना उलझ, उलझनों को ही उलझाएंगे
यूँ ही इस सफर में आगे बढ़ते जाएंगे
आगे बढ़ते जाएंगे.....
© Anirya