...

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Yun hi waadiyon ko takna.............
यूँ सूरज का चमकना ,
धरती का सोने सी चादर में लिपटना ,
यूँ मंद - मंद हवाओं का बहना ,
पक्षियों का मधुर स्वर में चहकना ,
यूँ ही वादियों को तकना ,
अच्छा लगता है !!!!!
सुकून की तलाश में मुसाफिरो की तरह भटकना ,
सुख -सुविधाओं में लिप्त होकर खुशियों को ढूंढना ,
हज़ारों की भीड़ मे भी अकेला होना ,
जीवन के अंतिम पड़ाव पर ,
फिर से बचपन की यादों में खो जाना ,
अच्छा लगता है !!!!!!
ये ख्वाहिशों का सफर है ,
लड़कपन में बड़ों जैसे जीवन की आशा करना ,
और जीवन के अंतिम समय पर ,
बच्चों सा जीवन जीने की ज़िद करना ,
यही तो जीवन का चक्र है जनाब !!!!!
प्रकृति से जीवन का उद्गम ,
और इसी में जीवन का निहित हो जाना ,
संसार रूपी मोह - माया से ,
खुद के लिए थोड़ा समय जरूर निकालना ,
यूँ ही वादियों को तकना ,
अच्छा लगता है !!!!!!

NehaV
© NehaV

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