...

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तुम+कब+भूलोगे+मुझे
यादों को अपने मन से आजाद कर गए "तुम",
दुख होगा ऐसा करके फिर क्यों खुद को बर्बाद कर गए "तुम",
अगर ऐसा था तो इजाजत नहीं देते मुझे अपने ख्वाब में आने की,
ना नींद मुकम्मल हुई ना ही ख्वाब मुकम्मल कर पाए "तुम"

जो बीत गई वह खुशियां आएगी "कब",
दो रूह ठहर गई थी एक मोड़ पर... वह फिर साथ चल पाएगी "कब",
ना हमें काम है आपसे... ना ही अब आपको हमसे काम आना था,
जानते हैं हम एक ख्वाहिश तो होगी आपकी हमसे मिलने की,
तुम पुछोंगे नहीं...