खोज :अंतहीन सफर
तेरी बनाई इस दुनिया में ,
मैं कहीं खो गया !
ढूंढ़ते ढूंढ़ते तुझे मैं,, हर जगह ,
थक हर कर कहीं सो गया !
मैं देखता रहा उस अनंत आकाश में ,
पर तू आज तक दिखा नहीं !
ठोकरे खा-खाकर रो पड़ा ,
पर आज तक तेरे रास्ते से मुडा नहीं !
लोगो को गुमराह करूँ ,
मैं वो शायर नहीं हूँ !
दर बदर भटक कर रो भी पडू ,
पर तेरी खोज रोक दूँ !
न प्रभु न ,
बो कायर...
मैं कहीं खो गया !
ढूंढ़ते ढूंढ़ते तुझे मैं,, हर जगह ,
थक हर कर कहीं सो गया !
मैं देखता रहा उस अनंत आकाश में ,
पर तू आज तक दिखा नहीं !
ठोकरे खा-खाकर रो पड़ा ,
पर आज तक तेरे रास्ते से मुडा नहीं !
लोगो को गुमराह करूँ ,
मैं वो शायर नहीं हूँ !
दर बदर भटक कर रो भी पडू ,
पर तेरी खोज रोक दूँ !
न प्रभु न ,
बो कायर...