...

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“दिल बेचारा”
हम सोचे थे वो जहां कहां नसीब हुआ
वो उतना ही दूर था जितना क़रीब हुआ

हमने चाहा जिसे वो कहां मिल सका
हमसे तो डाली का एक पत्ता भी न हिल सका

दिल हमारा आग सा न पूरा जल सका
उगता सूरज मेरा...