...

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ढलती शाम और तुम
हर ढलती शाम मुझे, मेरी तन्हाइयों से मिलाती है !

हर ढलती शाम मुझे , तेरी याद दिलाती है !

रोज अकेले बैठकर मैं , यूं ही मुस्कुराया करता हूं !

रोज तुझे मैं अपने इन , ख्यालों में बुलाया करता हूं !

काली घटा जब छाती है !

बारिश की पहली बौछार जब आती है !

ऐसा लगता है मानो ,

तेरी यादों की सौगात ले आती है !

ठंडी - ठंडी मानसून हवाएं ,...