ढलती शाम और तुम
हर ढलती शाम मुझे, मेरी तन्हाइयों से मिलाती है !
हर ढलती शाम मुझे , तेरी याद दिलाती है !
रोज अकेले बैठकर मैं , यूं ही मुस्कुराया करता हूं !
रोज तुझे मैं अपने इन , ख्यालों में बुलाया करता हूं !
काली घटा जब छाती है !
बारिश की पहली बौछार जब आती है !
ऐसा लगता है मानो ,
तेरी यादों की सौगात ले आती है !
ठंडी - ठंडी मानसून हवाएं ,...
हर ढलती शाम मुझे , तेरी याद दिलाती है !
रोज अकेले बैठकर मैं , यूं ही मुस्कुराया करता हूं !
रोज तुझे मैं अपने इन , ख्यालों में बुलाया करता हूं !
काली घटा जब छाती है !
बारिश की पहली बौछार जब आती है !
ऐसा लगता है मानो ,
तेरी यादों की सौगात ले आती है !
ठंडी - ठंडी मानसून हवाएं ,...