वो दिन..
वही तुम और वही मैं और वही सब मिलकर "हम" बनते है,
वही पुराना स्कूल, पुराने लोग, दोस्त ज्यादा और दुश्मन कम बनते है,
वही हमारा खेलना, पढ़ना और सीट के लिए लड़ना-झगड़ना होता है,
और वहीं सारे दोस्त ख़ुद ही घाव, तो कभी ख़ुद ही मरहम बनते है,
एक हसीन सफ़र ज़िंदगी का हम सब एक साथ बिताते है,
और लड़ते है पहले फिर दूर हो जाने पर सब याद आते है,
वहीं सब लंच शेयरिंग में खाते है, और क्लास में सीटियां बजाते है,
प्रिन्सिपल सर की डाट सुनते है, और ग़लतीयां फिर दोहराते है,
फिर एक पड़ाव आता हुँ, जहां मस्ती में पूरा साल निकल जाता है,
तब स्कूल जाना बोझ लगता था, अब वो स्कूल याद आता है,
हाँ, आंखे नम हो जाती है, जब कई अर्सों के बाद एक साथ आते है,
थोड़ी सी मस्ती करते है अपने पुराने दिन जी लेते है और फिर सब लौट जाते है,
हाँ वो स्कूल के दिन बहुत याद आते है बहुत याद आते है..!!
© Vishakha Tripathi
वही पुराना स्कूल, पुराने लोग, दोस्त ज्यादा और दुश्मन कम बनते है,
वही हमारा खेलना, पढ़ना और सीट के लिए लड़ना-झगड़ना होता है,
और वहीं सारे दोस्त ख़ुद ही घाव, तो कभी ख़ुद ही मरहम बनते है,
एक हसीन सफ़र ज़िंदगी का हम सब एक साथ बिताते है,
और लड़ते है पहले फिर दूर हो जाने पर सब याद आते है,
वहीं सब लंच शेयरिंग में खाते है, और क्लास में सीटियां बजाते है,
प्रिन्सिपल सर की डाट सुनते है, और ग़लतीयां फिर दोहराते है,
फिर एक पड़ाव आता हुँ, जहां मस्ती में पूरा साल निकल जाता है,
तब स्कूल जाना बोझ लगता था, अब वो स्कूल याद आता है,
हाँ, आंखे नम हो जाती है, जब कई अर्सों के बाद एक साथ आते है,
थोड़ी सी मस्ती करते है अपने पुराने दिन जी लेते है और फिर सब लौट जाते है,
हाँ वो स्कूल के दिन बहुत याद आते है बहुत याद आते है..!!
© Vishakha Tripathi