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संकरी पगडंडी कभी
संकरी पगडंडी कभी
कभी चौङी सङक
घोङा गाङी कभी
कभी पग पग

ये नित नये से रास्ते
बने जो तेरे वास्ते।

दृत गति से कभी
कभी आशाहीन
भरे कभी विश्वास से
कभी उम्मींदें जींर्ण।

ये नित नये से रास्ते
बने जो तेरे वास्ते।

चित्रा बिष्ट
(मौलिक रचना)
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