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झूठ और सच की कहानियाँ...!!!
झूठ ने बुन ली जब, मायावी सी एक कहानी,
सपनों की नगरी में, थी उसकी छाया मस्तानी।
रंग-बिरंगी बातों से, उसने दिलों को भरमाया,
अधरों पे हंसी लाई, पर दिल में दर्द समाया।।१।।

सच खड़ा था कोने में, निपट अकेला, शांत,
न उसमें था कोई शोर, न कोई दिखावटी कांत।
कदम-कदम पर ठोकरें, उसके साथ थी सदा,
पर चेहरे पर मुस्कान थी, आँखों में थी रौनक सदा।।२।।

झूठ ने माया फैलाई, अपने जाल में सबको फंसाया,
सच ने धीमे कदमों से, सत्य का दीप जलाया।
लोग झूठ की चमक में, खो बैठे थे जहाँ,
सच की सरलता ने फिर, दिखाया अपना रूप यहां।।३।।

समय ने करवट ली जब, झूठ का परदा हटा,
सच की रोशनी में फिर, हर दिल में चैन पाया।
झूठ की कहानियाँ चाहे, पलभर को रंग लाए,
पर सच की कहानियाँ ही, अंत में सदा मुस्काए।।४।।

झूठ है एक छलावा, जो केवल भ्रम बनाए,
सच की राह कठिन सही, पर मन को सदा सुकून दिलाए।
इसलिए सुनो और समझो, सच की कहानियाँ,
झूठ के नकली रंग से बचो, ये दुनिया सिर्फ परछाइयाँ।।५।।
© 2005 self created by Rajeev Sharma