...

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तुम मिलने आना जरूर
वक़्त की ये डोर काफ़ी लंबी है
मुश्किलों और फासलों से रंगी

नज़दीकियों के दिन चार पल
और उसपर तुम रूठ जाते कभी

मैं मनाने से डरता हुआ, बेचारा
की कहीं न खो दूं, तुमको भी

किस्मत ही ऐसी है कि, तरसना है
मैं ख़ुद से अनजान और अज़नबी

हो बयान कैसे की, गुफ़्तगू हो
की सुर मिला ले धड़कनें सभी

तुम मिलने आना जरूर, की जरूरत है
मेरे जैसी मोहब्बत, ए दिल तुमको भी



© paras