...

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"सुकून की साँसें"
सुकून की साँसें मिली न अब तक,
मैं जियूँगा न जाने कब तक..!

औरों की हाँ में हाँ जब मिलाई,
अच्छाई का पुतला रहा मैं तब तक..!

दफ़्न हो गया किरदार मेरा,
दुनिया समझ में आई जब तक..!

ज़िन्दगी ज़हन्नुम ज़िंदा लाश हूँ,
आत्मा की अरदास न पहुँची रब तक..!

सुख का सूरज उदय न हुआ यूँ,
अस्त होती बातें रुकी न लब तक..!
© SHIVA KANT