Ahsaas
एक मोड़ फिर मिल गए
ना जाने क्यों?
जाना था दूर कितना
वो खामोश रहें कोई बात नहीं
ये जो एहसास सिमटे हैं i
इन्हे कुछ लफ्जों मैं पिरो दूं आज.
वो खामोश रहे तो कोई बात नहीं..
Jyotsana Srivastava
ना जाने क्यों?
जाना था दूर कितना
वो खामोश रहें कोई बात नहीं
ये जो एहसास सिमटे हैं i
इन्हे कुछ लफ्जों मैं पिरो दूं आज.
वो खामोश रहे तो कोई बात नहीं..
Jyotsana Srivastava
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