...

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जब तुम मिलने आओगे
ठहरे एहसास को रवा मिलेगी
सूखे पत्ते को जैसे हवा मिलेगी
बिखरी बिखरी थी मैं सदियों से
नासाज दिल को अब दवा मिलेगी
जब तुम मिलने आओगे !

आहट को तेरी जान लूंगी
खुश्बू से तेरी पहचान लूंगी
बहकने लगे गर कदम तुम्हारे
गेसुओ में तुझे संभाल लूंगी
जब तुम मिलने आओगे !

नदियों की धार शोर करेगी
मध्यम मध्यम सी हवा चलेगी
लहराने लगेगी फिर आंचल मेरी
घुंगरू घुंगरू भी बोल उठेगी
जब तुम मिलने आओगे !

पतझड़ में भी फूल की डाली
सावन की जैसी हो हरियाली
पत्ती पत्ती बन बिखरूंगी मैं
जैसे हो तेरी चाहत की सवाली
जब तुम मिलने आओगे !


शाम भी क्या सुहाना होगा
चांद भी उसका दीवाना होगा
दूर से जुगनू चमक उठेंगे
चिरागों को फिर बुझाना होगा
जब तुम मिलने आओगे !

होंठो की फिर प्यास बुझेगी
आंखो में कोई ख्वाब सजेगा
दिल की धड़कन तेज होगी
सांसों में नया सरगम बजेगा
जब तुम मिलने आओगे !

सुबह की मचलती हवा सुहानी
ओस ओस और पानी पानी
इत्र की खुश्बू महक उठेगी
जैसे हो कोई रूह नूरानी
जब तुम मिलने आओगे !

गर्मी में जैसे ठंडा आब
मायखाने की उबलती शराब
जिस्म से मेरी लिपट जायेगा
सर्द रातों में जैसे गर्म लिहाफ
जब तुम मिलने आओगे !!


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