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अंधेर नगरी
गांव हो या शहर सब जगह
धांधली का जमाना है,
बिना घूस लिए कौन गरीबों को देता
अनाज का दाना है!
भारत सरकार ने चलाई है जनता के लिए सुरक्षा योजना है,
जब मुसीबत में पड़े तो मूकदर्शक बन देखते फसाना है!
गरीबों को के पेट पर लात मार कर देखों कैसे,
अमीरों के लबों पर खुशी का तराना है!
होनहार विद्यार्थी को अच्छे
कॉलेजों में मिलता नहीं दाखिला
देखों अब तो विद्या के मंदिर में भी
डोनेशन का जमाना है!
पढ़े- लिखे युवा बेरोजगार बैठे
यहां हाथ पर हाथ रख कर,
देखो अनपढ़ एवं घुशखोरो लिखते
तक़दीर का परवाना है!
महंगाई देखो कैसे आसमान छू रही
हर बार बजट पेश कर गरीबों का खून चूस कर इन्हें जलाना है!
गरीबी रेखा के नीचे वर्ग के लिए
बनी राशन योजना,
उसमें भी करते सहकर्मी घोटाला!
भर लेते जेब अपनी बेच अनाज,
दिखा देते अपनी गिरी हुईं इंसान की
पहचान है!
जहां भी कदम रखो वहां पर
चोर का बोलबाला है,
जो सच्चाई के लिए लड़े उसका
मुंह इस संसार में काला है !
सब्जी हो या सिलेंडर या तेल हो
या पेट्रोल का दाम सब जगह
कालाबाजारी का धंधा छुता आसमान है !
जब आती बारी वोट की घर घर
जाकर जनता से वोट मांगते,
निकल जाए काम तो जनता को कुछ नहीं समझते करते अपमान है!
जिनके पास पैसा है उनकी गुहार सब सुन लेते हैं लेकिन एक गरीब किसान के हक के लिए उठाई आवाज को कोई नहीं सून पाता है !
© Paswan@girl
धांधली का जमाना है,
बिना घूस लिए कौन गरीबों को देता
अनाज का दाना है!
भारत सरकार ने चलाई है जनता के लिए सुरक्षा योजना है,
जब मुसीबत में पड़े तो मूकदर्शक बन देखते फसाना है!
गरीबों को के पेट पर लात मार कर देखों कैसे,
अमीरों के लबों पर खुशी का तराना है!
होनहार विद्यार्थी को अच्छे
कॉलेजों में मिलता नहीं दाखिला
देखों अब तो विद्या के मंदिर में भी
डोनेशन का जमाना है!
पढ़े- लिखे युवा बेरोजगार बैठे
यहां हाथ पर हाथ रख कर,
देखो अनपढ़ एवं घुशखोरो लिखते
तक़दीर का परवाना है!
महंगाई देखो कैसे आसमान छू रही
हर बार बजट पेश कर गरीबों का खून चूस कर इन्हें जलाना है!
गरीबी रेखा के नीचे वर्ग के लिए
बनी राशन योजना,
उसमें भी करते सहकर्मी घोटाला!
भर लेते जेब अपनी बेच अनाज,
दिखा देते अपनी गिरी हुईं इंसान की
पहचान है!
जहां भी कदम रखो वहां पर
चोर का बोलबाला है,
जो सच्चाई के लिए लड़े उसका
मुंह इस संसार में काला है !
सब्जी हो या सिलेंडर या तेल हो
या पेट्रोल का दाम सब जगह
कालाबाजारी का धंधा छुता आसमान है !
जब आती बारी वोट की घर घर
जाकर जनता से वोट मांगते,
निकल जाए काम तो जनता को कुछ नहीं समझते करते अपमान है!
जिनके पास पैसा है उनकी गुहार सब सुन लेते हैं लेकिन एक गरीब किसान के हक के लिए उठाई आवाज को कोई नहीं सून पाता है !
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