...

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अन्यथा
कई बात ऐसे हैं
बस सुन के चुप हो जाओ
कई बात ऐसे हैं
चुप होके सुनते जाओ

बातों का क्या? सब कहते हैं !

पर यही बात कह कह के
फिर सब के सब सुनते हैं ।

पर सच तो यह है दुनिया की
हम सब इसके ही दर्शक हैं
श्रोता हैं, कर्ता है,
इसके ही दैनिक जीवन के
ग़र इनकी ना सुने तो ,सुने किसकी
इनकी न करें तो करें किसकी

यह भ्रम है बैठा जो मन में..
क्या...