गरीब मजदूर
आज मैंने सड़कों पर भटकते एक कंकाल तंत्र को देखा,
अरे वही, अमीरों के हाथ की यंत्र को देखा, हां,देश की सेवा को सड़कों पर स्वतंत्र देखा।
सड़कों पर उमड़ी भीड़ बता रही है,
गरीब मजदूरों को"सड़क छाप"होने की एहसास करा रही है।
आज मैंने सड़कों पर बसी एक अलग संसार देखा,
गरीबों में मच रही हाहाकार देखा।
समय की मार झेल रहे गरीब मजदूर,
भूखे पेट सोने को मजबूर,
और सरकार कागजी प्रक्रिया में...
अरे वही, अमीरों के हाथ की यंत्र को देखा, हां,देश की सेवा को सड़कों पर स्वतंत्र देखा।
सड़कों पर उमड़ी भीड़ बता रही है,
गरीब मजदूरों को"सड़क छाप"होने की एहसास करा रही है।
आज मैंने सड़कों पर बसी एक अलग संसार देखा,
गरीबों में मच रही हाहाकार देखा।
समय की मार झेल रहे गरीब मजदूर,
भूखे पेट सोने को मजबूर,
और सरकार कागजी प्रक्रिया में...