...

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अब और तब
अब सब्र नहीं होता
अब इंतजार नहीं होता
अब महबूब नहीं होता
अब प्यार नहीं होता।

पीढ़ी बदली,बदली रवायतें
बदलती रस्मों में इत्तिहाद नहीं होता
इनके बदलते रिश्ते हर दिन
पहले जैसा कोई शीरीं फरहाद नहीं होता
© Reema_arora